हम यह दावे से कह सकते है कि आपने कॉपर-टी के बारे में जरूर सुना होगा। यह एक गर्भनिरोधक उपकरण(IUD) है,जो गर्भधारण को रोकने में मदद करता है।यह प्लास्टिक व कॉपर से बना छोटा नर्म लचीला उपकरण है,जो डॉक्टर की सहायता से आसानी से गर्भाशय के भीतर लगाया जा सकता है।
यह लम्बी व निश्चित अवधि तक काम करता है और अपनी इच्छा से इसे हटाया भी जा सकता है। कॉपर-टी के अपने फायदे हैं परंतु इसे सभी को सुझाया नहीं जा सकता है
(IUD) दो प्रकार के होते हैं कॉपर-टी उनमें से एक है–
1. हार्मोनल (IUD)–
हार्मोनल (IUD) लेवोंनरगेस्टरल छोड़ता है जो कि हार्मोन प्रोजेस्टिन का रूप है। प्रोजेस्टिन एक हार्मोन है जो मासिक चक्र के दौरान अंडों को बनने से रोकता है ताकि अंडे गर्भाशय में स्थापित ना हों और गर्भधारण को रोका जा सके। हार्मोनल (IUD) कॉपर-टी(IUD)से ज्यादा असरदार होता है।
2. कॉपर-टी (IUD)–
यह सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाला (IUD) है। इसमें तांबे के तार में लिपटे T शेप उपकरण को गर्भाशय में स्थापित किया जाता है।यह तांबे से बना IUD 10 साल तक शरीर के अंदर रह सकता है। इसे गर्भनिरोधक के रूप में अत्यधिक प्रभावी माना जाता है|
यह कैसे काम करता है?
सभी IUD स्पर्म को हानि पहुँचाकर या मार कर को निषेचन की प्रक्रिया को रोकतें है | यह गर्भाशय लाइनिंग पर प्रभाव डालता है, इससे अगर अंडा निषेचित भी हो गया हो तो भी गर्भाशय वाल पर प्रत्यारोपित नहीं हो सकता और इस तरह वो विकसित नहीं हो पाता |
हार्मोनल (IUD) व कॉपर-टी दोनों अलग-अलग तरीके से काम करते हैं।
कॉपर-टी “T” आकार का तांबे से लिपटा प्लास्टिक का उपकरण है। तांबा शुक्राणुओं के लिए घातक होता है क्योंकि यह उन्हें नष्ट कर देता है।इससे गर्भाशय व फेलोपिन ट्यूब एक ऐसा द्रव उत्पन्न करते हैं जो शुक्राणुओं को नष्ट करने में सहायक होता है। यह द्रव तांबे, सफेद रक्त कोशिकाओं व कुछ एंजाइम्स से बनता है।इसमें एक धागा भी जुड़ा होता है जो इस उपकरण की सही स्थिति जानने में सहायक होता है।
कॉपर-टी के फायदे–
यह गर्भनिरोधन का प्रभावी तरीका है। इसका इस्तेमाल कर आप बिना किसी हार्मोन या दवाई के अनचाहे गर्भ से छुटकारा पा सकती हैं। इससे आपको शारीरिक संबंध बनाने से पूर्व सुरक्षा लेनी की आवश्यकता नहीं पड़ती जब भी आप गर्भधारण करना चाहें, इसे आराम से हटाया जा सकता है। इसे हटाते ही इसका प्रभाव समाप्त हो जाता है। यह अन्य गर्भनिरोधकों की तुलना में सस्ता भी है।
कॉपर-टी के नुकसान–
यह यौन संक्रमित रोगों (STD) से संरक्षण प्रदान नहीं करता है। कई मामलों में इस उपकरण को लगाने के बाद महिलाओं ने दर्द,मासिक चक्र कि अनियमितता, अधिक रक्त स्त्राव व मरोड़ो की समस्या का सामना किया है ,जो बाद में कम हो जाता है ऐसा पाया गया है |कई बार यह उपकरण जगह से हिल भी जाता है किंतु इससे बंधे धागे की सहायता से इसे आसानी से ढूंढां जा सकता है |स्त्री रोग विशेषज्ञ (gynaecologist) इसकी जांच कर इसको वापस सही जग़ह पर लगा देती है।